5 Simple Techniques For shiv chalisa lyrics aarti

काशी में विश्वनाथ विराजत नन्दी ब्रह्मचारी ।

दानिन महँ तुम सम कोउ नाहीं। सेवक स्तुति करत सदाहीं॥

Devotees who chant these verses with powerful appreciate turn out to be prosperous with the grace of Lord Shiva. Even the childless wishing to own small children, have their needs fulfilled after partaking of Shiva-prasad with faith and devotion.

त्रिगुण रूपनिरखता त्रिभुवन जन मोहे ॥ ॐ जय शिव…॥

महाबीर बिक्रम बजरंगी। कुमति निवार सुमति के संगी।।

भाल चन्द्रमा सोहत नीके। कानन कुण्डल नागफनी के॥

हाथ बज्र औ ध्वजा बिराजे। कांधे मूंज जनेउ साजे।।

पुत्र हीन कर इच्छा कोई। निश्चय शिव प्रसाद तेहि होई॥

वस्त्र खाल बाघम्बर सोहे। छवि को देखि नाग मन मोहे॥

अर्थ: हे अनंत एवं नष्ट न होने वाले अविनाशी भगवान भोलेनाथ, सब पर कृपा करने वाले, सबके घट में वास करने वाले शिव शंभू, आपकी जय हो। हे प्रभु काम, क्रोध, मोह, लोभ, अंहकार जैसे तमाम दुष्ट मुझे सताते रहते हैं। इन्होंनें मुझे भ्रम में डाल दिया है, जिससे मुझे शांति नहीं मिल पाती। हे स्वामी, इस विनाशकारी स्थिति से मुझे उभार लो यही उचित अवसर। अर्थात जब मैं इस समय आपकी शरण में हूं, मुझे अपनी भक्ति में लीन कर मुझे मोहमाया से मुक्ति दिलाओ, सांसारिक कष्टों से उभारों। अपने त्रिशुल से इन तमाम दुष्टों का नाश कर दो। हे भोलेनाथ, आकर मुझे इन कष्टों से मुक्ति दिलाओ।

योगी यति मुनि ध्यान लगावैं। नारद शारद शीश नवावैं॥

नित उठि भोग लगावत महिमा more info अति भारी ॥ ॐ जय शिव…॥

भाल चन्द्रमा सोहत नीके। कानन कुण्डल नागफनी के॥

मात-पिता भ्राता सब होई। संकट में पूछत नहिं कोई॥

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